News of Delhi Border being Sealed Creates a Wave of Concern in the Industry
नमस्कार,
दिल्ली बॉर्डर्स सील होने की खबरों से उद्योग जगत में चिंता की लहर
एक बार फिर किसान आंदोलन के कारण दिल्ली बॉर्डर्स सील होने की खबरें सामने आ रही हैं, जिसने उद्योग जगत में चिंता की स्थिति पैदा कर दी है।
मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कन्फेडरेशन ऑफ बहादुरगढ़ इंडस्ट्रीज के प्रतिनिधिमंडल प्रवीण गर्ग, विपिन बजाज, प्रदीप कौल, सुरेंद्र वशिष्ठ, अशोक कुमार मित्तल, पुरषोत्तम गोयल, सुनील गर्ग, रवि चमरिया, अमरीक सिंह लाल, तिलक राज गर्ग, राजेश गुप्ता, दीपक शर्मा, गुरप्रीत सिंह, अमृत गोयल, आर. बी यादव, राजेश गर्ग, योगेश कुमार, जगदीश चंद बंसल, नवल गर्ग, गणेश गुप्ता, चिराग सिंघल, विकास गुप्ता , विजेंद्र गुलाटी, दीपक साहनी एवम अन्य झज्जर जिले के उद्योगपतियों ने एक बैठक कर इस विषय पर विस्तार से चर्चा की।
कन्फेडरेशन ऑफ बहादुरगढ़ इंडस्ट्रीज (COBI) के अध्यक्ष श्री प्रवीण गर्ग ने बताया कि जब पिछली बार किसान आंदोलन के कारण 13 महीनों तक दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर्स बंद रहे थे, तब इसका सबसे बुरा प्रभाव उद्योगों पर पड़ा था।
बहादुरगढ़, जो कि हरियाणा में दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर के पास स्थित है, एक प्रमुख औद्योगिक हब है। यहां हजारों उद्योग हैं और लाखों कर्मचारी कार्यरत हैं। ये उद्योग सरकार को करोड़ों का राजस्व देते हैं। इसके बावजूद, यहां की औद्योगिक इकाइयों को बुनियादी सुविधाओं के लिए हमेशा संघर्ष करना पड़ता है।इसके उपरान्त बॉर्डर सील होने जैसे खबरें यहाँ के उद्योगों को और भी चिंता में डाल देती हैं।
बहादुरगढ़ के लोगों के लिए दिल्ली न केवल रोजगार का केंद्र है बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं के लिए भी एक मुख्य आधार है। आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं के लिए एंबुलेंस की आवाजाही हो या उद्योगों के लिए कच्चे माल और तैयार माल की आपूर्ति, इन सब पर दिल्ली की निर्भरता है। उद्योगपति और कर्मचारी, जिन्हें प्रतिदिन बहादुरगढ़ से दिल्ली या दिल्ली से बहादुरगढ़ आना-जाना पड़ता है, बॉर्डर्स सील होने पर बुरी तरह प्रभावित होते हैं। इसी तरह, पढ़ाई के लिए इस रूट पर यात्रा करने वाले बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी यह स्थिति बेहद कठिन हो जाती है। कई काम ऐसे होते हैं जो मेट्रो के माध्यम से पूरे नहीं किए जा सकते। सामान्यतः 30 मिनट का सफर बॉर्डर सील होने के कारण 2 घंटे या उससे अधिक का हो जाता है, जिससे समय और संसाधनों की भारी बर्बादी होती है।
बहादुरगढ़ के उद्योग कच्चा माल लाने, तैयार माल को ट्रांसपोर्ट करने और अन्य औद्योगिक कार्यों के लिए दिल्ली और आस पास के क्षेत्रों पर निर्भर हैं। बॉर्डर्स सील होने से कच्चे और तैयार माल की आपूर्ति श्रृंखला बुरी तरह प्रभावित होती है। इसके चलते परिवहन लागत कई गुना बढ़ जाती है, जिससे छोटे उद्योगों का अस्तित्व संकट में आ जाता है।
पिछली बार, जब 13 महीनों तक बॉर्डर्स बंद रहे, तब कई उद्योग बड़े नुकसान के कारण बंद हो गए थे और कई बंद होने की कगार पर पहुंच गए थे। उस समय भी कन्फेडरेशन ऑफ बहादुरगढ़ इंडस्ट्रीज ने झज्जर जिले के सभी उद्योगों की समस्याओं को मीडिया के माध्यम से किसान संगठनों और सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया था।
अब फिर से किसान आंदोलन की खबरें आ रही हैं। हम न तो किसानों के खिलाफ हैं और न ही सरकार के। लेकिन सवाल यह है कि ऐसे विवादों के कारण बार-बार उद्योग और उनके कर्मचारियों को क्यों नुकसान उठाना पड़ता है? पिछली बार, जब बॉर्डर्स बंद हुए थे तो इसके कारण कई उद्योग ठप हो गए थे और हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो गए थे । क्या इस तरह हम ‘मेक इन इंडिया’ के मिशन को सफल बना पाएंगे?
किसान आंदोलन के कारण हर बार आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान होता है, कई नौकरियां चली जाती हैं और व्यवसाय ठप हो जाते हैं। यह समय है कि सरकार और किसान भाई मिलकर इस समस्या का स्थायी समाधान निकालें।
कन्फेडरेशन ऑफ बहादुरगढ़ इंडस्ट्रीज झज्जर जिले के सभी उद्योगों और कर्मचारियों की ओर से सरकार और किसान संगठनों से अपील करता है कि बार-बार ऐसे आंदोलनों के कारण अन्य लोगों को परेशानी में न डाला जाए। जैसे की पिछली बार भी हमारा निवेदन स्वीकार करते हुए किसान भाइयों ने बहादुरगढ़ को अपने आंदोलन का केंद्र नहीं बनाया था उसी प्रकार इस बार भी हम किसान भाइयों से अनुरोध करते हैं कि बहादुरगढ़ को इस आंदोलन का केंद्र ना बनाया जाए ताकि यहां के उद्योग, कर्मचारी, बच्चे और आम नागरिकों का जीवन प्रभावित ना हो। बातचीत के माध्यम से इस मुद्दे का समाधान निकालकर एक स्थायी हल सुनिश्चित किया जाए ताकि आम जनजीवन और उद्योग दोनों सुचारू रूप से चल सकें।
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आभार
टीम कोबी
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