Industrialists from Jhajjar Discuss Expectations and Suggestions for Upcoming Central Government Budget
झज्झर ज़िले के विभिन्न ओद्योगिक क्षेत्रों से उद्यमियों ने आने वाले केंद्र सरकार के बजट पर चर्चा की और सभी ने उद्योगों से सम्बंदित कुछ सामान समस्याएँ, ज़रूरतें और सुझाव रखे साथ ही अपने उत्पादनों से संबंधित सुझाव भी चर्चा के दौरान साँझा किए।
कंफेडरेशन ऑफ बहादुरगढ़ इंडस्ट्रीज (कोबी) ने आज पूर्व-बजट पैनल चर्चा का आयोजन किया। इस चर्चा में कोबी के अध्यक्ष श्री प्रवीण गर्ग जी, महासचिव श्री प्रदीप कौल जी, कोषाध्यक्ष श्री अशोक कुमार मित्तल जी, कोबी कार्यकारिणी सदस्य श्री दीपक शर्मा जी, श्री विकास गुप्ता जी, श्री सुनील गर्ग जी, श्री महेश कुमार जी, श्री तिलक राज गर्ग जी, श्री चिराग सिंघल जी, श्री मनीष गुप्ता, श्री विजेंदर गुलाटी, श्री अशोक वर्मा, श्री नरेंद्र कुमार सहित झज्जर जिले के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों से उद्योगपति उपस्थित रहे।
पैनल चर्चा के दौरान उपस्थित उद्यमियों ने अगले बजट के लिए अपने सुझाव प्रस्तुत किए। प्रमुख सुझाव इस प्रकार थे:
जीएसटी में यह देखा गया है कि एक ही उत्पाद के लिए विभिन्न श्रेणियों में अलग-अलग जीएसटी स्लैब होते हैं। इसके लिए एक समान स्लैब होना चाहिए।
कुछ ही समय पहले आयकर अधिनियम में 43(बी) क्लॉज जोड़ा गया है, जिसके तहत सूक्ष्म और लघु स्तर के आपूर्तिकर्ताओं को 45 दिनों के भीतर भुगतान किया जाना चाहिए। यह सुझाव दिया गया कि सभी स्तर के करदाताओं को इसमें शामिल किया जाना चाहिए, चाहे वे सूक्ष्म, बड़े, निर्माता या आपूर्तिकर्ता हों।
हरियाणा में केवल एकमात्र डी.जी.एफ़.टी दफ़्तर है पानीपत में। पूरे हरियाणा के निर्यातकों को अभी पानीपत जाना पड़ता है। अगर हम केवल झज्झर और रोहतक ज़िले की बात करे तो यहाँ लगभग 15 हज़ार उद्योग हैं जिसमें से हज़ारों उद्योग निर्यात करते हैं। अगर एक डी.जी.एफ़.टी दफ़्तर बहादुरगढ़ या रोहतक में भी होना चाहिए जो की एक सेंटर पॉइंट बने और आस पास के निर्यातकों को सुविधा मिल सके।
सरकार द्वारा बड़े उद्योगों के लिए एक प्रोडक्शन लिंक इंसेंटिव (पी.एल.आई) योजना निकली गई थी जिसके अंतर्गत कई बड़े उद्योगों लाभ हुआ लेकिन छोटे उद्योगों को कही नहीं लिया गया जबकि इन बड़े उद्योगों की कामयाबी में और इनको बड़ा बनाने में सबसे बड़ा योगदान इन्ही छोटे उद्योगों का है। उद्यमियों ने सरकार से निवेदन करते हुए कहा कि सभी उद्योगों को समान रूप से लाभ मिलना चाहिए।
एमएसएमई योजनाएं विभिन्न राज्यों में अलग-अलग होती हैं। उदाहरण के लिए जम्मू या उत्तराखंड में उद्योगों के लिए कई योजनाएं हैं, लेकिन हरियाणा में उद्योगों को अधिक योजनाएं प्रदान नहीं की जाती हैं। उद्योग समान रूप से निरंतर कार्य कर देश की प्रगति में अपना योगदान कर के रूप में दे रहे हैं तो उनके लिए योजनाएँ भी समान रूप से प्रदान की जाएँ।
भारत की क़रीब 140 करोड़ जनसंख्या में से लगभग 4 करोड़ लोग करदाता हैं। यानी की कुल जनसंख्या का केवल 2.89% भाग। अगर सरकार द्वारा कुछ ऐसे नियम बनाए जाने जिस्म करदाताओं की पहचान हो और उन्हें कुछ अतिरिक्त लाभ दिया जा सके तो और भी लोगों का रुझान कर देने की और बढ़ेगा। इससे ना केवल करदाताओं को फ़ायदा मिलेगा बल्कि करदाताओं की संख्या भी वृद्धि होगी। यदि केवल 2.89% करदाताओं के सहयोग से ही आज हमारे देश की आर्थिक वृद्धि इतनी अच्छी है तो सोचो की अगर कल करदाताओं की संख्या बढ़ती है तो हम अलने देश को कहाँ से पहुँचा सकते हैं।
ईज़ ऑफ़ डॉइंड बिज़नेस को जमीनी स्तर पर सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्र एक कर नीति को वास्तव में लागू करना बहुत महत्वपूर्ण है। आज का व्यवसायी अपना पूरा जीवन करों का भुगतान करने में बिताता है, लेकिन क्या उनका भविष्य किसी सरकारी कर्मचारी की तरह सुरक्षित है? सभी प्रकार के करों का भुगतान करने के बावजूद वे ज़्यादातर सुविधाओं से वंचित हैं। सभी ने सुझाव दिया कि व्यापारियों के लिए भी नीतियां बनाई जानी चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग व्यापार में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित हो सकें क्योंकि वे राष्ट्र के विकास के प्रमुख स्रोत हैं। अभी स्थिति ये की नई बजट की घोषणा हो जाती लेकिन पुराने बजट के अन्तर्गत लाए गए कार्य धरातल पर लागू नहीं होते।
इसी तरह कर्मचारियों से ई.एस.आई और पी.एफ़ के पर करोड़ों की राशि इकट्ठा होती है लेकिन अगर हम अपने झज्झर ज़िले की बात करें तो डिस्पेंसरी में जाने पर कर्मचारियों को उचित सुविधा नहीं मिलती।
हमारा सुझाव यह है कि चाहे किसी भी माध्यम से जिस भी क्षेत्र से कर वसूला गया है उसका कुछ भाग उस क्षेत्र के विकास के लिए भी इस्तेमाल होना चाहिए। और साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि धरातल पर उस विकास कार्य की क्या स्थिति है।
हमें आशा है कि सरकार उद्योगों के सुझावों को प्राथमिकता देते हुए इनपर विचार करेंगे और जितना हो सके इन्हें अमल में लाया जाएगा।
आभार
टीम कोबी