COBI’s Appeal to the Government
नमस्कार,
COBI appealed the Government to investigate the working of the tenders allocated for the infrastructure upgradation for the Industrial areas of the Jhajjar district in the past 10 years.
पिछले दिनों कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ बहादुरगढ़ इंडस्ट्रीज (कोबी) ने झज्जर जिले के सभी उद्योगों और औद्योगिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हुए सरकार से गुहार लगाई थी और उद्योगों द्वारा अर्जित राजस्व का बजट के रूप में हो रहे दुरुपयोग की उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी।
कुछ जगहों से हमें यह संदेश मिले के हमारे द्वारा दी गई जानकारी ग़लत है और जो फ़ोटोज़ दिखाई जा रही है वो पुरानी है और आज की तारीख़ में ऐसे कोई समस्या औद्योगिक क्षेत्रों में नहीं हैं। उनके अनुसार झज्जर जिले के बहादुरगढ़ एम आई ई औद्योगिक क्षेत्र के लिए जो टेंडर का कार्य पिछले वर्ष पूरा हुआ था इससे एम आई ए औद्योगिक क्षेत्र में कोई परेशानी नहीं है और सब सड़कें ठीक हैं, सीवर की या पीने के पानी की कोई समस्या नहीं है इत्यादि।
हम आपको आज दिनांक 30 जनवरी 2025 के ताज़ा हालातों से रूबरू कराना चाहेंगे ताकि सभी को पता चल सके की इतने बजट बनने, टेंडर पास होने और विभागों के अनुसार काम पूरे होने के बावजूद धरातल पर स्थिति क्या है।
कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ बहादुरगढ़ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष प्रवीण गर्ग, संयुक्त सचिव सुरेंद्र वशिष्ट और कार्यकारिणी सदस्य रवि चमरिया, पुरुषोत्तम गोयल, सुनील गर्ग एवम अन्य कार्यकारिणी सदस्यों ने झज्जर जिले के औद्योगिक क्षेत्रों के हालातों का विश्लेषण करने हेतु आज एम आई ई पार्ट ए, पार्ट बी, ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया, एचएसईडीसी सेक्टर 16, 17, 4बी, इत्यादि अन्य औद्योगिक क्षेत्र का निरीक्षण किया।
झज्जर जिले में हजारों उद्योग है जहां लाखों कर्मचारियी काम कर रहे हैं, करोड़ों का उत्पादन कर रहे हैं, राजस्व दे रहे हैं । इसी राजस्व से बजट बन रहे हैं, टेंडर पास हो रहे हैं और कागजों में औद्योगिक क्षेत्रों के विकास कार्य हो रहे हैं, लेकिन धरातल पर हमारे झज्जर जिले के उद्योग जिन परिस्थितियों में अपने उद्योग चला रहें हैं के वहां शायद कोई जानवर भी रहना पसंद नहीं करेगा।
इतने करोड़ों रुपये लगने के बाद भी अगर परिस्थिति ऐसी है तो इससे अच्छा तो उद्योगिक क्षेत्रों के लिए कोई बजट ही ना बने कम से कम इस तरह उद्योगों द्वारा अर्जित राजस्व की बर्बादी तो नहीं होगी , बस उद्योगों से राजस्व, हाउस टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स इत्यादि ही इकट्ठा किया जाए ताकि टेंडर और बजट के नाम पर किसी की जेबें तो ना भरें।
आप चाहे एम आई ई औद्योगिक क्षेत्र में चले जाइए जहाँ पिछले वर्ष ही विभाग के अनुसार 35 करोड़ रुपये के टेंडर का कार्य पूरा हुआ है । पर आज भी सड़कें टूटी हुई हैं, सीवर के ढक्कन नहीं है और सीवर का पानी सड़कों पर बह रहा है, फुटपाथ नहीं हैं , पीने का पानी नहीं है, पार्क डंपिंग यार्ड बन चुके हैं, कोई स्ट्रीट लाइट नहीं है, सड़कों पर कचरे के पहाड़ बन चुके हैं, हर तरफ़ गंदगी है जिसमे से चलकर रोज़ हज़ारों उद्योगपति और लाखों कर्मचारी अपने उद्योगों में काम करके करोड़ों का राजस्व दे रहे हैं।
जबकि करोड़ों रुपये के सफ़ाई और स्ट्रीट लाइट के नाम पर भी अलग से टेंडर पास किए जाते हैं और नगर परिषद द्वारा करोड़ों रुपये का संपत्ति कर लिया जाता है।
चाहे आप ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया चले जाएँ जिसके विकास के लिए भी 7 करोड़ रुपये का टेंडर पास हुआ था। साल भर से इस टेंडर का काम बीच में रुका हुआ है । पूरे औद्योगिक क्षेत्र की हालत खराब है, कोई सुविधा नहीं है , और जल्द इसका भी पता चलेगा के टेंडर का काम पूरा हो गया और विभाग के अनुसार फाइल बंद कर दी जाएगी लेकिन धरातल पर स्थिति में कोई सुधार देखने को नहीं मिलेगा।
एचएसईडीसी सेक्टर 16, 17, 4 बी औद्योगिक क्षेत्र के हालातो को भी देख लीजिए, हर साल उद्योगिक क्षेत्रों के विकास के लिए बजट बनाए जाते हैं लेकिन पिछले 6-7 वर्षों से यहाँ के हालात दिन प्रतिदिन बद से बदतर ही होते जा रहे हैं। कोई स्ट्रीट लाइट नहीं है, सड़कें टूटी पड़ी है, सीवर के ढक्कन टूटे पड़े हैं, सीवर का पानी सड़कों पर बह रहा है, कोई सफ़ाई नहीं है।
जो भी उद्योगों द्वारा अर्जित राजस्व से बजट बनवाए जाते हैं उस बजट के माध्यम से देश में अन्य विकास और निर्माण कार्यों के साथ साथ उद्योगों और औद्योगिक क्षेत्रों के विकास और निर्माण के लिए भी कुछ बजट रखा जाता है।
हमारा सरकार से केवल इतना निवेदन है कि हर वर्ष जो बजट बनाया जा रहा है तो साथ साथ यह भी सुनिश्चित करा जाए की ये बजट का पैसा धरातल पर लग भी रहा है के नहीं। क्युकी अगर ये औद्योगिक क्षेत्रों के लिए बनाए गए बजट धरातल पर इस्तेमाल होते तो आज हमारे औद्योगिक क्षेत्रों के ये हालात नहीं होते। उद्योगों को सिर्फ़ साफ़ पीने का पानी, साफ़ सीवर,साफ़ सड़कें, स्ट्रीट लाइट, गलियों की सफ़ाई, पार्कों का रख रखाव, कचरे का सही निवारण चाहिए । यदि उद्योगों के लिए बनाए गए बजट का सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो हमारे उद्योगों और भी क्षमता से उत्पादन कर राजस्व में वृद्धि कर सकते हैं और ज़्यादा से ज़्यादा रोज़गार दे सकते हैं।
हमारा सरकार से एक बार फिर से निवेदन है जो भी झज्जर जिले के उद्योगों के लिए पिछले 10 वर्षों में टेंडर किए गए हैं उनकी उच्च स्तरीय जांच अवश्य कराई जाए ताकि भविष्य में आने वाले बजट और हो चुके टेंडर का काम ठीक ढंग से हो सके।
आभार
टीम कोबी
हेल्पलाइन- 075001 00080